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मौत के बाद भी अंतिम संस्कार के लिए जोखिम भारी जद्दोजहद, कीचड़ और बहते नाले से होकर श्मशान पहुँचते लोग।

News Published By Mr.Dinesh Nalwaya
Publish Date: 21-07-2024

रत्नमोती न्यूज डेक्स

नीमच। देश की आजादी को 70 दशक से अधिक का बीत चुका है। देश के वैज्ञानिकों ने चांद और मंगल जाने का रास्ता तो सुगम कर लिया है। मगर देश के कुछ इलाकों में आज भी लोगों की अंतिम यात्रा का रास्ता सुगम नही हुआ है। ग्रामीणो को दुर्गम रास्तों से होकर गुजरना पड़ रहा है। हद तो तब हो जाती है जब मौत के बाद भी अंतिम यात्रा का रास्ता कीचड़ बहते बरसाती नालों से भरा हो और जानजोखिम में डालकर गुजरना पड़ता हो। मध्य प्रदेश के नीमच जिले के रामपुरा तहसील अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत लसूडिया ईस्तमुरार के गांव बड़ोदिया बुजुर्ग के हालात भी इसी की बानगी पेश करते है। जहां दशकों बीत जाने पर भी ग्रामीणो को शवयात्रा कीचड़ भरे दुर्गम मार्ग से बरसाती नाले के बहते पानी से होकर निकालना पड़ रही है। जिसमे किसी के गिरने तो किसके चोटिल होने का खतरा बना रहता है। बरसती नाले में यदि तेज बहाव है तो उसे पार करना खतरे से खाली नही होता। ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए घण्टो इंतजार करना पड़ता है। यह वीडियो रविवार सुबह सामने आया है। शनिवार शाम को इसी तरह का एक नजारा देखने को मिला। गांव में किशन लाल पिता नानूराम गुर्जर नामक करीब 80 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई। मौत दोपहर करीब 2:00 बजे के आसपास हुई थी। इसी दौरान तेज बारिश आने लगीं, जिसके चलते बुजुर्ग के अंतिम को करीब 2 से 3 घंटे तक रोकना पड़ा क्योंकि शमशान के रास्ते मे पड़ने वाले बरसाती नाले में काफी पानी बह रहा था। जब पानी उतरा तब शवयात्रा निकाली गई। उस पर भी मार्ग में कीचड़ और फिसलन के कारण शवयात्रा ले जाने में काफी परेशानी का सामना ग्रामीणों को करना पड़ा। करीब 700 लोगों की आबादी वाले इस गांव में रास्ते के अलावा भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। हर साल बारिश में ग्रामीण इसी तरह शवयात्रा लेजाने को परेशान होते है। ग्रामीणों ने बताया की बरसों से वे लोग जनप्रतिनिधियो और अधिकारियों को अवगत करवाते आरहे हैं,लेकिन आज तक उक्त समस्या का निराकरण नही हो पाया है और श्मशान जाने के रास्ते के हालात आज तक नहीं सुधर पाए है ग्रामीण देवीलाल गुर्जर ने बताया कि उक्त समस्या से गत वर्ष भी वर्तमान विधायक माधव मारू को अवगत कराया गया था।उन्होंने आश्वासन दिया था की रास्ता दुरुस्त करेंगे या श्मशान कहीं और शिफ्ट कर देंगे।मगर अब तक कुछ नहीं हुआ। सालों से ग्रामीणों को केवल आश्वासन दिया जा रहा है। हमारे गांव की अनदेखी की जा रही है।
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