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परिषद का संचालन नियम अनुसार होने से ही होगा जनहित -पार्षदों को है प्रश्न पूछने का अधिकार- श्री पाटीदार

News Published By Mr.Dinesh Nalwaya
Publish Date: 09-03-2024

रत्नमोती न्यूज डेक्स

नीमच। नगर पालिका परिषद की बैठक का संचालन नगर पालिका अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों के अनुसार होना चाहिए।जिससे पार्षद जनहित में प्रश्न पूछ कर नगरपालिका पर बेहतर नियंत्रण भी कर सकते हैं और जवाबदेही भी तय कर सकते हैं उक्त आशय का कथन करते हुए पूर्व पार्षद महेश पाटीदार एडवोकेट ने कहा कि नियमों के अनुसार पार्षदों को परिषद में प्रश्न पूछने का अधिकार है । पूर्व पार्षद महेश पाटीदार एडवोकेट ने बताया कि मध्यप्रदेश नगर पालिका (कामकाज के संचालन की प्रक्रिया) नियम, 2005 के नियम 17 के अनुसार पार्षद पीठासीन अधिकारी से नगर पालिका के कृत्यों और दायित्वों से संबंधित प्रश्न पूछ सकते हैं तथा नियम 17 (2) के तहत पार्षद परिषद की बैठक के 10 दिन पूर्व तीन प्रतियो मे प्रश्न देकर दो प्रश्न पूछ सकते हैं जिससे कि नियम 17 ( 3 )के अनुसार परिषद के सम्मेलन में उन प्रश्नों का मौखिक उत्तर पार्षद प्राप्त कर सके । अध्यक्ष की राय में उन प्रश्नों का उत्तर लिखित में भी दिया जा सकता है ,नियम 17(4) के अनुसार उन प्रश्नों का सीएमओ या सभापति उत्तर दे सकता है । नियम 18 के अनुसार पार्षदों को उपरोक्त दो प्रश्नों के अलावा दो पूरक प्रश्न पूछने का भी अधिकार है । श्री पाटीदार ने बताया कि नगर पालिका नीमच का संचालन उपरोक्त नियमों के अनुसार नहीं हो रहा है, यहां तक की इस अनुसार एजेंटा भी जारी नही हो रहा है ।जिससे पार्षदों के लोकतान्त्रिक अधिकारों पर कुठाराघात हो रहा है। यदि पार्षदों को नियम अनुसार प्रश्न पूछने का अधिकार मिलेगा तो नगरपालिका पर बेहतर नियंत्रण और अनुशासन होगा तथा जवाबदेही भी तय की जा सकेगी । जिससे ही जनहित होगा। श्री पाटीदार ने कहा कि परिषद में पार्षदों को प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं मिलने से तथा उनकी बात नहीं सुनी जाने से बैठक में हंगामा और विवाद हो रहा है तथा जनता के प्रश्न अध्यक्ष और नगरपालिका का तक पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। श्री पाटीदार ने नगरपालिका को सुझाव दिया कि परिषद की प्रस्तावित बैठक के पूर्व नगर पालिका पार्षदों को सूचना भेजें कि यदि आपके कोई प्रश्न है तो आप दो प्रश्न लिखित में दीजिए तथा उनका उत्तर नगर पालिका परिषद की बैठक में पार्षदों को दें। जिसे नगरपालिका का संचालन तो बेहतर होगा ही और अनुशासन नियंत्रण भी बना रहेगा, जो जनहित और शहर विकास के लिए आवश्यक है।
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