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वसंत पंचमी है महाप्राण निराला का जन्मदिन- चौहान कवयित्री डॉक्टर प्रेरणा ठाकरे के निवास पर मनाई निराला जयंती

News Published By Mr.Dinesh Nalwaya
Publish Date: 17-02-2024

रत्नमोती न्यूज डेक्स

नीमच वसंत पंचमी प्रेम और सौंदर्य का पर्व है इस दिन हिंदी के महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म हुआ था। वे छायावाद के स्तंभ होकर शोषित और पीड़ित के लिए लिखते थे। उन्होंने जीवन पर्यंत श्रेष्ठ साहित्य का सृजन किया। उक्त उदगार वयो वृद्ध शिक्षाविद गोपाल सिंह चौहान ने डॉक्टर प्रेरणा ठाकरे के निवास प्रायोजित 18 में वसंत उत्सव एवं निराला जयंती के अवसर पर व्यक्त किये। ज्ञान मंदिर लॉ कॉलेज के पूर्व प्राचार्य अख्तर अली शाह अनंत ने निराला को मां सरस्वती का सच्चा पुत्र मानते हुए कहा कि निराला ने अपनी कविताओं में भारतीय संस्कृति के महत्व को प्रतिपादित किया ।वे हिंदी के ऐसे कवि थे जो खून सुखाकर लिखते थे। जूही की कली और वर दे वीणा वीणा वादिनी निराला की महत्वपूर्ण कविताएं है। बाल कवि बैरागी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर सुरेंद्र शक्तावत में वसंत की प्रासंगिकता का उल्लेख करते हुए कहां की संस्कृत साहित्य में वसंत का पर्याप्त उल्लेख है हिंदी साहित्य में भी मध्यकालीन कवियों ने वसंत का वर्णन किया आधुनिक काल में निराला वसंत के अग्रदूत कवि थे। काव्याअध्यक्ष महिपाल सिंह चौहान ने निराला को याद करते हुए उन्हें साहित्य के प्रति समर्पित महाकवि के रूप में निरूपित किया ।निराला ने अभावग्रस्त जीवन जीते हुए भी कभी साहित्य के साथ समझौता नहीं किया वे सच्चे अर्थों में मां भारती के पुत्र थे। मॉडल स्कूल के प्राचार्य राधेश्याम शर्मा ने निराला द्वारा वसंत पर लिखित कविता अभी-अभी तो आया मृदुल वसंत का पाठ करते हुए कहा कि निराला ने स्वयं वसंत पंचमी को अपना जन्मदिन स्वीकार किया। वह भारतीय सांस्कृतिक जीवन मूल्य के कवि थे। डा चेतन प्रकाश उपाध्याय ने कहा की महाकवि निराला ने कुकुरमुत्ता जैसी कविताएं लिखकर सामंतवादी व्यवस्था पर करारी चोट की । वे छायावाद के महान स्तंभ होने के साथ-साथ राष्ट्रीय युग बोध के कवि थे। अकबर भाई ने निराला के बारे में कहा कि निराला अच्छे कवि के साथ अच्छे गद्यलेखक भी थे ।उन्होंने चतुरी चमार एवं कुंल्लीभटजैसा उपन्यास लिखकर सिद्ध कर दिया कि उपन्यास और कहानी विधा में भी निराला का पूरा दखल था। आलम तौकीर ने कहा की बसंत जोड़ने का काम करता है सूफी मजारों पर बसंत पंचमी पर पीली चादर चढ़ाई जाती है जो सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। सुप्रसिद्ध कवयित्री एव रामपुरा कॉलेज की प्रोफेसर डॉ प्रेरणा ठाकरे ने वसंत पर भाव भरा उद्बोधन देते हुए कहा कि वसंत का जीवन से संबंध है प्रकृति पर वसंत का प्रभाव पड़ता है तो मन पर भी पड़ता है जब कोई फूल खिलता है तो मन प्रसन्न होता है। वसंत के कोमल अहसास का आनंद हर संवेदनशील व्यक्ति को प्राप्त होता है। कार्यक्रम के आरंभ में मां सरस्वती का पूजन अतिथियों के द्वारा किया गया प्रभव एवं प्रणव ने मां सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का प्रारंभ किया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में वरिष्ठ साहित्यकार गोपाल सिंह चौहान का शॉल एवं श्रीफल से अभिनंदन कर निराला सम्मान से उन्हें सम्मानित किया। ज्ञातव्य है के डॉक्टर प्रेरणा ठाकरे के निवास पर 18 वर्ष से लगातार निराला जयंती का आयोजन किया जा रहा है इसमें क्षेत्र के सुप्रसिद्ध साहित्य सड़क को निराला सम्मान से सम्मानित किया जाता है। कार्यक्रम केअंतिम सोपान में काव्य गोष्ठी हुई जिसमें शहर के प्रबुद्ध आमंत्रित कवियों द्वारा काव्य पाठ किया गया। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन प्रोफेसर अख्तर अली शाह ने किया। आभार डॉक्टर सुरेंद्र शक्तावत ने व्यक्त किया
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