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लसुडावन में आज जलेगी चुल भबकते अंगारों पर चुल में निकलने से मिलती है सभी प्रकार की बीमारियो से निजात पढ़े खबर

News Published By Mr.Dinesh Nalwaya
Publish Date: 25-10-2023

मनोहर धनगर

मन्दसौर- लसुडावन में परम्परा अनुसार प्रत्येक वर्ष चुल का आयोजन ग्रामवासियो के सहयोग से ग्यारस को किया जाता है। इस आयोजन में गांव के वरिष्ठजन व युवाओ का भी अच्छा सहयोग मिलता है। नवरात्री के समापन के बाद ग्यारस के दिन ये आयोजन रखा जाता है। आयोजन निशान के साथ बालाजी मंदिर से प्रारम्भ होता है। नयका के कुए पर वाड़ी विसर्जन किया जाता है। इसमें धर्मालुजन व बावजी के हाथ में तलवार खप्पर लिये ढोल ढमाके व निशान के साथ गांव के विभिन्न मार्गो से होते हुए इमली चौक पहुँचते है। गांव में जुलुस के दौरान महिला व पुरुष शीश नवाकर बावजी का आशीर्वाद लेते है व नोजवान युवा देवताओ के कोडे झेलने को आतुर रहते है। यहाँ पर माताजी एवम चुल की महाआरती व पूजन की जाती है। तत्पश्चात इमली चौक पर चुल में सबसे पहले हिंगलाज माता उसके बाद सभी देवी देवता और बाद में गांव के नागरिक व आसपास के भक्तजन निकलते है। इमली चोक में समापन के बाद बावजी अपने अपने स्थान पर जाकर लोगो की दुःख पीड़ा दूर करते है। ये प्रथा 50 वर्षो से चली आ रही है। सभी ग्रामवासी व आसपास के भक्तगण नंगे पैर चुल में निकलते है।चुल में निकलने से सभी प्रकार की बीमारीया दूर होती है। और सभी प्रकार के कष्टो से निजात मिलती है। इस आयोजन में करीब 4 हजार जनसंख्या में पुरुष महिलाये भाग लेते है। आस्था के प्रति इस लगाव से आसपास के गांव बाबरेचा, रिंडा, पिंडा, चिपलाना, बड़वन, झिरकन, भाटरेवास आदि गांव की जनता आयोजन में शामिल होते है।
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