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भव्य कलश यात्रा निकली, श्रीराम कथा आरंभ- कण-कण में बसे हैं राम, अंगद का पैर हो या हनुमान की सीना- साध्वी ऋतंभरा

News Published By Mr.Dinesh Nalwaya
Publish Date: 30-11--0001

नीमच। रामचरित्र मानस ऐसी कथा है, जिसका श्रवण मानों सागर में गोता लगाने जैसा है। कहते हैं कण-कण में राम बसे हैं, तभी राम मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाएऔर जो मर्यादा में रहा, राम उसमें नजर आए, चाहे वह अंगद का पैर हो या फिर हनुमान का सीना। यह विचार दीदी माँ. साध्वी ऋतंभराजी ने व्यक्त किए, वे स्व. कांतादेवी-प्रेमसुखजी गोयल व स्व. रोशनदेवी-मदनलालजी चौपड़ा की स्मृति में गोयल एवं चौपड़ा द्वारा वात्सलय सेवा समिति, अग्रवाल गु्रप नीमच व मंडी व्यापारी संघ के तत्वावधान में दशहरा मैदान नीमच में आयोजित श्रीराम कथा के प्रथम दिन रविवार को बोल रही थी। श्रीराम कथा का शुभारंभ के पूर्व शहर में कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। । उन्होंने कहा कि कुछ बद दिमाग नेता  सनातन धर्म को मिटाने की बात कर रहे हैं, लेकिन सनातन वह धर्म है, जिसे मिटाने का प्रयास कर वाले खुद मिट गए हैं। सनातन को कंस की हुंकार तक नहीं मिटा पाई, तो नेताओं की बकवास क्या मिटाएगी। दीदी माँ ने कहा कि  सनातन को गाली देने वाले नेताओं को चुल्हा-चौखा कैसे बंद करना है, इसके बारे में हमें विचार करना होगा। जितनी बार नीमच आई, उतना कहीं नहीं गई- श्रीराम कथा का शुभारंभ पौथी पूजन से हुआ। आरंभ में दीदी माँ साध्वी ऋतंभराजी ने कहा कि जितनी बार में नीमच में आई, उतना कहीं नहीं गई। नीमच ऐसा शहर है, जो यहां आता है, यहीं का होकर रह जाता है। उन्होंने कहा कि भारत के लोग प्रेम निभाते हैंऔर स्नेह रूपी जुआ खेलते हैं, उसी स्नेह में पड़कर अपने जीवन को दाव पर लगाने से भी नहीं डरते हैं। दीदी माँ ने कहा कि भारतीय रिश्ते निभाते हैं। देश पर कुर्बान होना, भारतीय लोगों के लिए जीवन को सार्थक बनाने जैसा है। दीदी माँ ने कहा कि स्त्री को कभी निराश्रित नहीं समझना चाहिए। क्योंकि ईश्वर को भी धरती पर आने के लिए स्त्री की कोख का सहारा लेना पड़ा था। फिर स्त्री निराश्रित कैसे हो सकती है।  उन्होंने कहा कि भारतीयों का काम चिंता करना नहीं, चितंन करना है। अंतर्मन के दुखों को दूर करने वाले गुरू होते हैं जो व्यक्ति का मुख देख कर उसकी समस्या का पता लगा लेते हैं। जो जगत की वासना के कीचड़ में कमल उगा देते हैं। वे सद्गुरू देव कहलाते हैं। सद्गुरू हमारे मार्ग दृष्टा होते हैं। कथा में दीदी माँ ने अनेक भजनों की प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओं को भाव विव्हल कर दिया। श्रीराम कथा में प्रथम दिन के प्रवचन के समापन अवसर साध्वी साक्षी चेतना, सन्यासी सत्यकीर्त, विधायक दिलीपसिंह परिहार, वात्सलय समिति के अध्यक्ष संतोष चौपड़ा, महामंत्री अनिल गोयल, कोषाध्यक्ष मदनलाल पाटीदार, कार्यक्रम संयोजक पवन पाटीदार, प्रहलादराय गर्ग, समाजसेवी कैलाश धनुका, मंडी व्यापारी संघ राकेश भारद्वाज, सचिव राजेंद्र खंडेलवाल,  कोषाध्यक्ष कमल बिंदल, अग्रवाल ग्रुप नीमच अध्यक्ष कमलेश गर्ग, सचिव राहुल गर्ग, कोषाध्यक्ष दुर्गेश लवाका समेत चौपड़ा एवं गोयल परिवार के सदस्यों समेत बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक और श्रद्धालु भक्त मौजूद थे। बाक्स कलश यात्रा में उमड़ा सैलाब, श्री राम के जयकारों से गूंजा शहर दीदी माँ साध्वी ऋतंभराजी के मुखारविंद से श्री रामकथा का शुभारंभ रविवार को कलश और पौथी यात्रा से हुआ। ऐतिहासिक कलश यात्रा में जन सैलाब उमड़ पड़ा और श्री राम के जयकारों से शहर गूंज उठा। कलश यात्रा का शहर में जगह-जगह स्वागत किया गया। कलश यात्रा में दीदी माँ साध्वी ऋतंभराजी भी रथ में सवार हुए और भक्तों को दर्शन दिए। कलश और पौथी यात्रा सुबह 10 बजे स्वर्णकार मांगलिक भवन से शुरू हुई। जो फ्रुट मार्केट चौराहा, पटेल चाल, नयाबाजार, घंटाघर, तिलक मार्ग, जाजू बिल्डि¨ग, पुस्तक बाजार, फोरजीरो चौराहा, विजय टॉकीज चौराहा होते हुए श्री रामकथा स्थल वात्सल्य धाम दशहरा मैदान पर संपन्न हुई। कलश यात्रा में सैंकड़ों महिलाओें ने कलश शिरोधार्य कर रखा था। कलश यात्रा में सबसे आगे धर्म ध्वज पताकाएं लहराते अश्व सवार बालिकाएं चल रहे थी, जिनके पीछे बैंड द्वारा धार्मिक भजनों के माध्यम से श्री राम का गुणगान किया जा रहा था। साथ ही युवाओं की टोली ढोल की थाप पर जमकर थिरक रही थी और जय श्री राम के जयकारों से आसमान को गूंजायमान कर रही थी। कलश यात्रा की अंतिम पंक्ति में गोयल व चौपड़ा परिवार के सदस्य श्री रामकथा पौथी को बारी-बारी से शिरोधार्य कर चल रहेथे । अंत में आकर्षक घोड़ा बग्गी में सीताराम सहित राम दरबार सवार था। कलश यात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।  कलश यात्रा का पूरे मार्ग पर जगह-जगह सामाजिक संगठनों ने तोरण द्वार और पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। स्वर्णकार मांगलिक भवन से दशहरा मैदान तक जगह-जगह मंच बनाकर स्वागत किया। 
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