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लेदर के जूते मख्खन से मुलायम हाथ की अव्वल कारीगरी मेला अंतिम दो दिन

News Published By Mr.Dinesh Nalwaya
Publish Date: 30-11--0001

नीमच। दशहरा मैदान टाउन हाल में चल रहे संत रविदास मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम लिमीटेड के हस्तशिल्प मेले में धार जिले के ग्राम दूधि से आए शिल्पकार द्वारा निर्मित जूते किसी भी कंपनी की तुलना बेहतर साबित हो रहे हैं। गुणवत्ता के मान से जूते असली लेदर के होने से मख्खन जैसे मुलायम हैं और किसी भी खरीददार की जेब पर भी भारी नहीं पडते हैं। टिकाउ होने से लंबे समय तक गुड लुकिंग बने रहते हैं। मेले में ऐसे कई आयटम है जो सुख, सृमद्धि एवं सौंदर्य के बेहतरीन विकल्प है। टाउन हाल में हस्तशिल्प मेले में दूधि ग्राम के जूते के शिल्पकार प्रमोद पल्ले एवं उनकी पत्नी सीमा पल्ले अपने उत्पाद लेकर आए हैं। हाईटेक एवं मशीनी युग में हाथ से बने इतने बेहतर उत्पाद आम जनता को उपलब्ध कराने का काम निगम लंबे समय से कर रहा है। परम्परागत ढंग से जूते बनाने का काम करने वाले श्री पल्ले ने बताया कि उनके द्वारा बनाए गए जूते एक्सपोर्ट लेदर के होते हैं। इसलिए इनकी चमक कभी फिकी नही होती है। दम्पति अपने काम में इतने दक्ष हैं कि उनके तैयार जूते और चप्पल बाजार के अन्य जूते-चप्पल के सामने अपनी अलग पहचान रखते हैं। देश की नामी कंपनियों के जूतों की तुलना में इनके हाथ से बनाए गए जूते-चप्पलों की विशाल श्रृंखला आम लोगों को उनकी आर्थिक क्षमता अनुसार उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ब्रांडेड कंपनी के जूते-चप्पल विज्ञापन और अन्य खर्चों की लंबी प्रक्रिया से गुजरने तथा मोटा मुनाफा रखने की मंशा के कारण काफी महंगे होते हैं, लेकिन वही काम यह दोनों पति-पत्नी अपने घर पर कर उन कद्रदान लोगों को दे रहे हैं जिन्हें ओरिजनल लेदर की जरूरत है। श्री पल्ले को टाटा एक्सपोर्ट लेदर, चैन्नई, हेदराबाद से कच्चा माल मिल जाता है जिससे जूते-चप्पल की गुणवत्ता में कोई फर्क नहीं रहता है और आम जनता को कम कीमत में अच्छे जूते-चप्पल मिल जाते हैं। श्री पल्ले विभिन्न शेड और डिजाईन में जूते-चप्पल लेकर आए हैं। मेला प्रभारी श्री दिलीप सोनी ने बताया कि मेले में आने वाले शिल्पी अपने उत्पाद का निर्माण पूरी लगन से करते हैं। मुनाफे का प्रतिशत काफी कम रखते हैं और परम्परा का निर्वाह कर रहे हैं। सरकार भी इस बात से वाकिफ है और उन्हें पूरा समर्थन दे रही है। ऐसे में आम जनता को टाउन हाल में आकर इन शिल्पियों की कारीगरी देखनी चाहिए ताकि इन्हें प्रोत्साहन मिले। उन्होंने बताया कि मेला निःशुल्क है और अंतिम दो दिन 20 एवं 21 दिसंबर तक सुबह 11 से रात 9 बजे तक खुला है।
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